गुरुवार, २८ जुलै, २०११

पिया प्यार भरी ये छुअन

पिया प्यार भरी ये छुअन
मोरे अंग अंग थिरकन
बांधो बाहुपाश बंधन
तुम्हे प्रीत मेरी अर्पण

मुख लालिमा दमके कंचन
रूप रंग निखरा कहे दर्पण
हर्षित छेडित सुगन्धित सुमन
पुलकित रोमांचित उल्हासित मन

रंग तोरे रंगा ये कण कण
साथ प्यार भरा, सुखमय जीवन
किलकारियों से गूंजा घर आँगन
कभी ख़त्म न हो ये सपन

पिया प्यार भरी ये छुअन
मोरे अंग अंग थिरकन
बांधो बाहुपाश बंधन
तुम्हे प्रीत मेरी अर्पण 

कवयित्री: प्रिती कोलेकर    

ह्या कवितेची चाल ऐका.

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