शुक्रवार, २६ फेब्रुवारी, २०१०

पार इस बारिश के है

तुषारची ही हिंदी कविता...हिलाही चाल लावलेय. बघा आवडतेय का ?

पार इस बारिश के है
सखी तेरा डेरा
कडकती है बिजली और
धडकाती है मन मेरा
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चेहरे की मधुरिमा
आईने पार छाई
फूल बालों में सजाया
जिन्दगी महकाई
घाव काजल का लगे
पलकों पे कितना प्यार
पार इस बारिश के है
सखी तेरा डेरा
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थाम लो अब आह को
ऑंसूओं थम जाओ
ना रे ना रे ना सखी
ऐसे भी मुरझाओ
गीत मनका मुस्कुराए
होठों पर अब मेरा
पार इस बारिश के है
सखी तेरा डेरा
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हाथों पर मुसकाए ओले
हरियाली छाए
बुंदों का रोमांच मेरे
हाथों पर उग आए
भीगा भीगा ऑंसमा
हाथों में भर लो सारा
पार इस बारिश के है
सखी तेरा डेरा

तुषार जोशी,नागपूर


चाल इथे ऐका


३ टिप्पण्या:

sourabh म्हणाले...

i was exploring blogs. saw ur's, i like it.

प्रमोद देव म्हणाले...

धन्यवाद सौरभ.

sourabh म्हणाले...

मी ही काही गज़ल, कविता केल्या आहेत.
माझ्या Blog वर आपण वाचू शकता.